दिल्‍ली के दरवाजे तक पहुंचा जीका वायरस, जानें सब कुछ

दिल्‍ली के दरवाजे तक पहुंचा जीका वायरस, जानें सब कुछ

सेहतराग टीम

राजस्‍थान की राजधानी जयपुर में जीका वायरस से संक्रमण के 12 नए मामले सामने आने के बाद इससे संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 72 हो गई है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार को इस मुद्दे पर हुई समीक्षा बैठक के बाद यह जानकारी दी। बैठक की अध्यक्षता अतिरिक्त मुख्य सचिव (चिकित्सा व स्वास्थ्य) वीनू गुप्ता ने की। बैठक में जीका के संक्रमण के मामले सामने आने के बाद हालात पर काबू पाने के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा की गई।
विभागीय अधिकारियों के अनुसार कुल 72 में से 60 मरीज उपाचार के बाद पूरी तरह स्वस्थ हो गए हैं। जीका विषाणु संक्रमण के अधिकतर मामले शास्त्रीनगर इलाके के हैं। इलाके में संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये फॉगिंग के अलावा मच्छरों के लार्वा को खत्म करने के उपाय किए जा रहे हैं। गुप्ता ने बताया कि अभी तक शास्त्रीनगर के 96,000 आवासीय मकानों में घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया जा चुका है। शास्त्रीनगर और आसपास के इलाकों में मच्छरों का लार्वा पाये जाने पर उसे नष्ट किया गया।

विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि आवासों में लार्वा पाये जाने पर 44 हजार रुपये जुर्माने के 68 चालान काटे गए। उन्होंने बताया कि संक्रमण के ज्यादातर मामले शास्त्रीनगर इलाके में सामने आए हैं जहां फॉगिंग एवं अन्य एहतियाती उपाय किए जा रहे हैं। विभाग ने एक परामर्श भी जारी किया जिसमें प्रभावित क्षेत्र से बाहर रहने वाली गर्भवती महिलाओं से शास्त्री नगर इलाके में नहीं जाने को कहा गया है।

क्‍या है जीका वायरस

गौरतलब है कि जीका वायरस डेंगू, जापानी इंसेफ्लाइटिस और यलो फीवर श्रेणी का वायरस है जो कि दिन में सक्रिय होने वाले एडीस मच्‍छर के काटने से फैलता है। इसके संक्रमण से पीड़‍ित व्‍यक्ति में भी डेंगू की तरह ही बुखार होता है जो डेंगू की बनिस्‍पत हलका होता है और इसमें भी शरीर पर रैशेज हो जाते हैं। आमतौर पर इसका बुखार भी पारासिटामोल खाने से ठीक हो जाता है।

ज्‍यादा खतरनाक कब होता है

दरअसल ये वायरस गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है क्‍योंकि गर्भवती महिलाओं को यदि इस वायरस का संक्रमण हो जाए तो उनके होने वाले बच्चे में कई तरह की समस्‍याएं हो सकती हैं। आमतौर पर ऐसे बच्‍चों का दिमाग अव‍िकसित रह जाता है। और भी कई तरह की विसंगतियां बच्‍चे में हो सकते हैं। इसलिए जब इस वायरस का प्रकोप फैला हो तो इससे गर्भव‍ती महिलाओं को बचाने की पूरी कोशिश की जाती है।

कहां से फैला ये वायरस

इस वायरस का नाम उगांडा के जीका वन के नाम पर पड़ा है जहां 1947 में सबसे पहले इस वायरस की पहचान की गई थी। तब से इस वायरस का प्रसार दुनिया के अलग-अलग देशों तक होता रहा है। दो साल पहले साल 2017-18 में इस वायरस का प्रसार अमेरिका तक हो गया था और तब इसपर दवाएं और टीके भी असर नहीं कर रहे थे। हालांकि बाद में इसका प्रकोप खुद ही कम हो गया।

प्रसार

इस वायरस के साथ बड़ी बात ये है कि मच्‍छर काटने से फैलने के अलावा ये वायरस यौन संबंधों के जरिये भी फैलता है। यानी इससे संक्रमति व्‍यक्ति से यौन संबंध बनाने वाला भी इसकी चपेट में आ जाता है।

इलाज

दो साल पहले जब दुनिया में जीका का प्रसार हुआ था तब कई कंपनियों ने इसका टीका बनाने में हाथ आजमाना शुरू किया था। करीब 18 कंपनियों ने ये काम शुरू किया था मगर इन कंपनियों ने तभी स्‍पष्‍ट किया था कि इसका पहला टीका बाजार में आने में कम से कम 10 वर्ष लग जाएंगे। वर्तमान में अमेरिकी ड्रग कंट्रोलर ने इसके एक टीके के दूसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी दे दी है।

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